दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस हफ्ते हुई बड़ी सिस्टम क्रैश की घटना ने पूरे देश को हैरान कर दिया है। इस गड़बड़ी की वजह से करीब सोलह घंटे तक हवाई यातायात बाधित रहा और सैकड़ों उड़ानें देर से चलीं। यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि भारत की एयर कंट्रोल तकनीक अब पुरानी हो चुकी है और इसे तुरंत अपग्रेड करने की आवश्यकता है।
पहले ही दे दी गई थी चेतावनी
घटना के बाद यह सामने आया कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स गिल्ड इंडिया ने इसी साल जुलाई में सरकार और विमानन अधिकारियों को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी। गिल्ड ने बताया था कि देश की ऑटोमेशन सिस्टम की परफॉर्मेंस लगातार गिर रही है और दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट पर स्लोडाउन और डेटा प्रोसेसिंग में देरी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। गिल्ड ने साफ कहा था कि यदि समय रहते अपग्रेड नहीं किए गए तो सुरक्षा और दक्षता दोनों पर असर पड़ेगा लेकिन अधिकारियों ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया।
वैश्विक मानकों पर पीछे भारत
गिल्ड ने अपने पत्र में कहा था कि भारत की एयर नेविगेशन सिस्टम को यूरोकंट्रोल और एफएए जैसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना चाहिए। इन देशों में प्रिडिक्टिव टूल्स एआई आधारित कॉन्फ्लिक्ट डिटेक्शन और रियल टाइम डेटा शेयरिंग जैसे आधुनिक सिस्टम इस्तेमाल किए जाते हैं। वहीं भारत के सिस्टम में ये सुविधाएं या तो बेहद सीमित हैं या मौजूद ही नहीं हैं। गिल्ड ने चेतावनी दी थी कि इस देरी का असर न सिर्फ उड़ान के समय पर पड़ेगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी जोखिम में पड़ सकती है।
आखिर कैसे हुआ सिस्टम क्रैश
इस हफ्ते जो हादसा हुआ वह ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम यानी एएमएसएस में आई खराबी के कारण हुआ। यह सिस्टम उड़ानों की योजना मौसम संबंधी डेटा और कंट्रोल टावर व पायलटों के बीच होने वाले संदेशों को स्वचालित रूप से भेजने का काम करता है। सिस्टम फेल होने के बाद ये सभी प्रक्रियाएं मैनुअली करनी पड़ीं जिससे उड़ानों में भारी देरी हुई। गुरुवार शाम को शुरू हुई यह समस्या शुक्रवार सुबह पांच बजकर पैंतालीस मिनट तक गंभीर रूप ले चुकी थी और कंट्रोलर्स को मैनुअल ऑपरेशन में संघर्ष करना पड़ा।
धीरे धीरे बहाल हुई व्यवस्था लेकिन चिंताएं बरकरार
एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बताया कि करीब आठ सौ उड़ानें देर से चलीं और सौ के करीब रद्द करनी पड़ीं। इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियरों की मदद से शुक्रवार रात तक सिस्टम को ठीक किया गया। हालांकि व्यवस्था बहाल हो गई है लेकिन इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की एयर ट्रैफिक तकनीक को आधुनिक बनाना अब टालने योग्य मुद्दा नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अपग्रेड में और देरी हुई तो ऐसी घटनाएं फिर सामने आ सकती हैं।



